करता नही क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत
देखता हूँ, मैं जिसे जो चुप मेरी महफ़िल में है।
रहबार राहे मोहब्बत रह ना जाना रह में
लज़्जत-ए-उलफत-ए-सेहरा दूरिए मंज़िल में है।
देखो, ... यूँ खड़ा क़ातिल कह रहा है बार बार
क्या तमन्ना-ए-मोहब्बत भी किसी के दिल में है।
आए हसीनो मिल्लत में, मैं तुम्हारे उपर निसार
अब इन नादानियो का चर्चा गैर की महफ़िल में है।
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ए आसमान ...
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है।
देखता हूँ, मैं जिसे जो चुप मेरी महफ़िल में है।
रहबार राहे मोहब्बत रह ना जाना रह में
लज़्जत-ए-उलफत-ए-सेहरा दूरिए मंज़िल में है।
देखो, ... यूँ खड़ा क़ातिल कह रहा है बार बार
क्या तमन्ना-ए-मोहब्बत भी किसी के दिल में है।
आए हसीनो मिल्लत में, मैं तुम्हारे उपर निसार
अब इन नादानियो का चर्चा गैर की महफ़िल में है।
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ए आसमान ...
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है।